Saturday, September 3, 2011

कविता : रामजन्‍मभूमि



 
थे राम अयोध्‍या के राजा ये सारा विश्‍व जानता है।
पर आज उन्‍हें अपने ही घर तम्‍बू में रहना पड़ता है।।
अल्‍लामा इकबाल ने उनको पैगम्‍बर बतलाया है।
उनसा मर्यादा पुरुषोत्तम न पृथ्‍वी पर फिर आया है।।
फिर भी इस सेकुलर भारत में राम नाम अभिशाप हुआ।
मंदिर बनवाना बहुत दूर पूजा करना भी पाप हुआ।।
90 करोड़ हिंदू समाज इससे कुंठित रहते हैं।
उनकी पीड़ा को समझे जो उसे राष्‍ट्रविरोधी कहते हैं।।
हिंदू उदारता का मतलब कमजोरी समझी जाती है।
हिंद में ही हिंदू दुर्गति पर भारत माता रोती है।।
हे लोकतंत्र के हत्‍यारों सेकुलर का मतलब पहचानो।
मंदिर कहना यदि बुरी बात तो राम का घर ही बनने दो।
गृह निर्माण योजना तो सरकार ने ही चलवाई है।
तो राम का घर बनवाने में आखिर कैसी कठिनाई है।।
हे हिंदुस्‍तान के मुसलमान बाबर तुगलक को बिसरावो।
यदि इस मिट्टी में जन्‍म लिया तो सदा इसी के गुण गावो।।
भाई-भाई में प्‍यार बढ़े ये पहल तुम्‍हें करनी होगी।
है अवध हिन्दुवों का मक्का वो जन्मभूमि देनी होगी
वरना ये रक्‍पात यूं ही सदियों तक चलता जायेगा।
आपस की मारा काटी में बस मजा पड़ोसी पायेगा।।
http://www.pravakta.com/author/mukesh-cmishra

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