Saturday, September 3, 2011

पिक्चर अभी बाकी है…..(कविता)



जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी सम्भलना ।
सरकार   बदल   देगी,   इसे  हार   में   वरना ।।
गफलत   अगर   हुयी,  तो   पछताना   पड़ेगा ।
इस   भ्रष्टतंत्र   को,    सिर    झुकाना    पड़ेगा ।।
तुडवाया था इन्होने ही,  पिछला  भी अनशन ।
पर  देते  रहे फिर भी,  बारह  दिन तक टेंशन ।।
सड़कों पर देखी भीड़, तो लाजिम हुआ डरना ।
जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी …………………..
जब भ्रष्ट  हो सरकार, और रिमोट हो  पी एम ।
दिखलाना पड़ेगा तब, जनता को ही दमखम ।।
कोशिश तो हुयी खूब, की  जनता को बाँट  दें ।
आर एस एस के नाम पर,  अन्ना  को डांट दें ।।
देशभक्तों   के   आगे,  पड़ा  पीछे  इन्हें  हटना ।
जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी …………………..
क्या खूब थी रणनीति, अजब सा था प्रबंधन ।
अन्ना  तुमारी  जय, और  है  टीम का वंदन ।।
आगे की  योजना भी,  अभी से  ही   बना लो ।
यदि थे कोई  नाराज, तो उनको भी मना लो ।।
पर    अग्निवेश    जैसे,   गद्दारों    से   बचना ।
जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी …………………..
रास्ते    अभी    भी,     आसान     नहीं    हैं ।
नेतावों    में     भी,     शैतान       कई      हैं ।।
स्वामी  रामदेव,   इनकी  बातों   में   आये ।
बदले  में  पुलिश  की,  बस  लाठियां खाये ।।
खलबली   है   इनमे,  ये   ध्यान  में रखना ।
जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी …………………..

http://www.pravakta.com/author/mukesh-cmishra 

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