जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी सम्भलना ।
सरकार बदल देगी, इसे हार में वरना ।।
गफलत अगर हुयी, तो पछताना पड़ेगा ।
इस भ्रष्टतंत्र को, सिर झुकाना पड़ेगा ।।
तुडवाया था इन्होने ही, पिछला भी अनशन ।
पर देते रहे फिर भी, बारह दिन तक टेंशन ।।
सड़कों पर देखी भीड़, तो लाजिम हुआ डरना ।
जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी …………………..
जब भ्रष्ट हो सरकार, और रिमोट हो पी एम ।
दिखलाना पड़ेगा तब, जनता को ही दमखम ।।
कोशिश तो हुयी खूब, की जनता को बाँट दें ।
आर एस एस के नाम पर, अन्ना को डांट दें ।।
देशभक्तों के आगे, पड़ा पीछे इन्हें हटना ।
जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी …………………..
क्या खूब थी रणनीति, अजब सा था प्रबंधन ।
अन्ना तुमारी जय, और है टीम का वंदन ।।
आगे की योजना भी, अभी से ही बना लो ।
यदि थे कोई नाराज, तो उनको भी मना लो ।।
पर अग्निवेश जैसे, गद्दारों से बचना ।
जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी …………………..
रास्ते अभी भी, आसान नहीं हैं ।
नेतावों में भी, शैतान कई हैं ।।
स्वामी रामदेव, इनकी बातों में आये ।
बदले में पुलिश की, बस लाठियां खाये ।।
खलबली है इनमे, ये ध्यान में रखना ।
जनतंत्र की है जीत, मगर फिर भी …………………..
http://www.pravakta.com/author/mukesh-cmishra
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